स्वर ...
एक अंधेरी रात को
कुछ तारों ने टिमटिमानें से मना कर दिया।
बरसों से चली आ रहीं
परम्परा को मानने से मना कर दिया।
चन्द्र की शीतलता भी विरोध के तेज को धीमा न कर सकी
महकी हवाओं ने लहराना बंद कर दिया।
बरसों से चली आ रही परम्परा को मानने से मना कर दिया।
रात की शैया पर भोर न होगी जो
पंछीयों ने चहचहाना बंद कर दिया।
आवाज भले ही सुनी न जाए,
पर आवाज दबायी न जाए
आवाज को सुन-अनसुना कर असुनी न कहीं जाए
भोर के स्वागत में चहचहाना केवल एक रीत नहीं
रात भर का संधर्ष है, पंछीयों का
नयी सुबह नए सफर में नएपन के लिए
नीरव रात के खिलाफ, अंधेरे के खिलाफ।