Friday 12 October 2012


थमना नहीं आगे बढ़




उजले के अहाते पर
एक तस्वीर धुंधली है।
मेरे सपनों की दुनिया में
मेरी जिंदगीं की तस्वीर धुंधली है।
हैं काटें राह में तो कोई गम नहीं
खुशी की तलाश में हूं दुखी
ये तस्वीर बुरी है।
उजले के अहातें पर
एक तस्वीर धुंधली है।
आज भी तू मेरे दिल में है
तेरे वादें...
तेरी बातें...
मेरे आज भी करीब है
तू आज भी समायी है मुझमें
दुख है कि तेरी वो तस्वीर धुंधली है।
उजले के अहाते पर
एक तस्वीर धुंधली है
तेरी बातों की गूजं अब तक है
तेरी आवाज़ में धार अब तक है
दुख है कि तेरी आवाज़ की तस्वीर खामोश है
उजले के अहाते पर एक तस्वीर धुंधली है।
मैं खोज रहा हूं तस्वीर के रंगों को
इस चमकती धधकती दुनिया में
कुछ पल के बाद...
ये चमकती दुनिया की तस्वीर धुंधली है।
इस तस्वीर के रंग तो पहले से गहरे है
बस देखते देखते मेरी आखें थम गयी
वो तस्वीर ठहर गयी
मेरी तस्वीर बदल गयी।
उजले के अहाते पर
ठहरी मेरी वो तस्वीर बदल गयी
मेरी तस्वीर बदल गयी।

                              सुभाष गढ़िया

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