Tuesday 9 October 2012


बदलाव के रंग...


मुझे शब्द पसंद हैं
मुझे एक शोर पंसद है।
मेरे वादें मेरी ताकत को
समेटे हुए मेरी किस्मत बांध रहीं है।
मुझे शब्द पसंद हैं
मुझे एक शोर पंसद है।
है कोशिश की ये तस्वीर बदल दूं
मुझे ये खामोश तस्वीर पसंद नही है।
मुझे शब्द पसंद हैं
मुझे एक शोर पंसद है।
है कोशिश जिंदगी की शाम को रंगने की
पर मुझे सिर्फ शब्द पसंद हैं...
मुझे शब्द पसंद है
मुझे एक शोर पंसद है।
कितनों ही रंगों से रंगी हि क्यों न हो
ये तस्वीर
पर मेरे अपनों को खामोशी पसंद नहीं है
उन्हें तो शोर की आदत है
मुझे ये बादलाव की आग पसंद है
आग लगाने वाले शब्द पसंद है
इन शब्दों का शोर पसंद है
मुझे बदलाव पसंद है।मुझे शब्द पसंद हैं
मुझे एक शोर पंसद है।
बिना शब्दों के शोर नहीं
बिना रंगों के तस्वीर नहीं
मुझे बदलनी तस्वीर नहीं
बदलनी तस्वीर के रंग है
सुनहरें शब्दों को सुनहरा रंगना है।
मुझे शब्दों से शोर करना है
शोर से बदलने से रंग है
शब्दों से शोर से तस्वीर नहीं
तस्वीर के रंग बदलने हैं।
मुझे शब्द पसंद हैं
मुझे एक शोर पंसद है।
इंकलाब जिंदाबाद!


:- सुभाष गढ़िया

No comments: